This blog is part of thinking activity. To understand I. A. Richardson's concept of 'Figurative language'. That how we find difficulty while reading or understanding the poem. Click here...
Clothes:कपड़े
तुम लाए कपड़े
और सब नंगे हो गए
तुमने कहा
पहन कर इसे हम सभी
सभ्य सुसंस्कृत हो जाएंगे
सब बर्बर हो गए
फिर तुमने कहा
अच्छा ऐसे नहीं ऐसे पहनो
इतना नहीं इतना पहनो
ऐसा पहनो वैसा पहनो
पर हमारे हिसाब से पहनो
जिसे आसानी से उतारा जा सके
चाहे घर हो संसद हो या हो सड़क
कपड़े से तुम कितना खेलते हो
बंद कमरे में नंगा होओगे खुद
और स्त्री को कर दोगे नंगा
कहोगे यह नंगापन नहीं प्रेम है
फिर तुम्हीं मर्यादा संस्कृति की रक्षा में
किसी स्त्री को कर दोगे खाप में नंगा
कहोगे उसका परिवार था ही इस लायक
तुमने यह भी कहा
कपड़े से कुछ नहीं छुपता
इंसान विचारों से होता है नंगा
इस तरह तुम
सामंती लैंगिक क्रूरता से
छुपाते रहे नंगापन
औद्योगिक घरानों की सांठगांठ से
जो मेहनत की रक्त में
कपड़े बुन रहे थे
तुम करते हो भेद कपड़े से
कौन कितना कमाता है
किसकी हैसियत कितनी है
वह विकसित है कि अविकसित है
कपड़े में लिपटा व्यक्ति इंसान नहीं
अमीर है या गरीब है
वह नर है कि मादा है
उसकी जाति क्या है
उसका धर्म क्या है
कौन करेगा यह कनफेशन
कि जब तक तुम्हारे कपड़े नहीं आए थे
कोई नंगा नहीं था
Difficult Words
बर्बर का अर्थ है असभ्य, क्रूर, या जंगली। यह शब्द उन व्यवहारों, कार्यों, या लोगों को दर्शाने के लिए उपयोग किया जाता है जो सभ्यता, सौम्यता, या मानवीयता के विपरीत माने जाते हैं।
खाप शब्द का उपयोग भारत में परंपरागत ग्रामीण सामाजिक व्यवस्था के संदर्भ में किया जाता है।
खाप एक प्रकार की पंचायत है, जो एक जाति या समुदाय के गांवों के समूह को संगठित करती है।
Summary
This poem uses clothing as a metaphor to question societal norms, power, and hypocrisy.How people use clothes to cover their mistake or mindset.How they become cruel for women. How they judge women and their family by their clothes.
The poem also highlights how industrial systems profit from the labor of workers who weave clothes but remain marginalized.A clothes that unify people based on gender, cast, religion, social status etc. Ultimately, the poem asserts that true nakedness lies not in the absence of clothing but in the exposure of thoughts, ideologies, and inequalities.
I. A. Richardson's concept of figurative language
Sense:The poem critiques societal hypocrisy and power dynamics using clothing as a symbol.
Feeling:The poem evokes a mix of anger, frustration, and disillusionment.
Tone:The tone is critical, confrontational, and reflective.
Intention:The poem aims to provoke thought and introspection. It seeks to dismantle superficial constructs tied to morality and identity while advocating for a more just and equitable understanding of humanity, beyond external appearances or societal labels.
Personal Opinion and Query
1.Complex metaphor is difficulty while reading poem because it use for social norm, gender equality, hypocrisy in different context.
2. Language became problematic for me because poem is in hindi, so i have limited knowledge about Hindi. So, words like बर्बर,खाप seems difficult.
3.तुम लाए कपड़े और सब नंगे हो गए
In this line 'तुम' use for whom? And if clothes are there than why poet wrote 'सब नंगे हो गए'?
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